गर्मी और मच्छर दोनों ने आतंक मचा रखा है.
कल शाम छोटे भाई को लेने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन गया
मेट्रो हमेशा की तरह भरी हुई,
लम्बी लाइन लगी हुई.
जैसे तेसे मेट्रो में तो चढ़ गया
लेकिन दो मच्छरों ने परेशान कर दिया
मेट्रो में मच्छर देख कर हंसी आ गई,
वो शायद मुझ से खेल रहा था
कभी मेरी नाक पर तो कभी मेरे कान पर
अपना डंक लगा रहा था
मै उसको मरने के लिए हाथ मरता रहा पर मर नहीं
कल शाम छोटे भाई को लेने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन गया
मेट्रो हमेशा की तरह भरी हुई,
लम्बी लाइन लगी हुई.
जैसे तेसे मेट्रो में तो चढ़ गया
लेकिन दो मच्छरों ने परेशान कर दिया
मेट्रो में मच्छर देख कर हंसी आ गई,
वो शायद मुझ से खेल रहा था
कभी मेरी नाक पर तो कभी मेरे कान पर
अपना डंक लगा रहा था
मै उसको मरने के लिए हाथ मरता रहा पर मर नहीं
मरता भी कैसे कही भी घुस जाता वो
सभी मेरी और देख रहे थे,
सभी मेरी और देख रहे थे,
एक बात तो है उस मच्छर के तो मजे है
आराम से ए सी में घूमता है
मेट्रो भी मच्छरों का घर बन रहा है,
जब तक में मेट्रो से उतरा नहीं
तब तक मच्छर मुझे परेशान करता रहा
आराम से ए सी में घूमता है
मेट्रो भी मच्छरों का घर बन रहा है,
जब तक में मेट्रो से उतरा नहीं
तब तक मच्छर मुझे परेशान करता रहा
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