गाँव में मेरे घर पर ज्यादा बड़ा परिवार नहीं रहता है। एक मेरी दादी और एक ताऊ है। मेरा घर गाँव के मुहाने पर ही है। मेरे घर से श्मशान घाट की सौ कदम की दुरी ही होगी। जब कोई मुर्दा जलाया जाता है तो उसकी अंगारे मेरे घर से साफ दिखाई देते है। लेकिन मुझे कभी भी मुझे डर नहीं लगा। मेरा मानना है की जो जाता है वो हम में से ही एक था। कभी सोचा नहीं था की डर क्या होता है ।
एक दिन मेरे गाँव से चार किलो मीटर दूर दुसरे गाँव में जाना पड़ा। मेरे दूर के रिश्तेदार की दादी का देहांत हो गया था। शाम का समय था। करीब 6 बजे मै और मेरे ताऊ का लड़का ( जिसकी उम्र भी मेरे जितनी ही होगी ) वहाँ पहुँच गये। करीब 8 बजे मुखअग्नि दी गई। करीब 10 बजे वहा से फ्री हो कर घर की और चल दिये। घर के लिए रास्ता खेतो में हो कर ही जाता है। मेरा गाँव लोग दिन में इस रास्ते को बाजार जाने के लिए उपयोग में लेते है ।
मै और मेरे ताऊ का लड़का साथ साथ चल दिये। हम घर जल्दी पहुचना चाहते थे। मै और ताऊ का लड़का रास्ता छोड़ सीधे खेतो के रास्ते चल दिये। दोनों गाँव के बिच में करीब 2 किलो मीटर तक पुरे में खेत ही खेत है।
चांदनी रात रात थी। खेतो से सरसों और गेंहूँ की कटाई हो चुकी थी । दूर- दूर तक साफ साफ देख सकते थे। दोनों गाँव के खेतो के बिच पहुच गये थे। हम बाते करते हुए जा रहे थे। कुछ देर बाद उसने बाते करना बंद कर दिया। मुझे मेरे ताऊ का लड़का कुछ डर हुआ सा लगा। वो मुझे मेरी और धक्के मार रहा था। वो खेतो को छोड़ कर मुझे कच्चे रास्ते की और करता जा रहा था। मैने कहा- "महेंद्र क्या कर रहा है? धक्के क्यों मार रहा है सीधा चल "
महेंद्र - अरे रास्ते से चलेगें यार ।
मै - क्यों यार ?
महेंद्र - नहीं यार कच्चे रास्ते से ही चलेगें।
मै - नहीं यार सीधे चलेगें ।
महेंद्र - मै कह रहा हु ना कच्चे रास्ते से चलेगें।
वो अभी डर हुआ था।
मै - तू इतना डर हुआ क्यों है ?
महेंद्र - सामने देख ।
मैने देखा वहा एक सफ़ेद साया जो एक बच्चे के रूप में खड़ा था।
मै - यार महेंद्र ये लड़का कोन है ?और ये इतनी रात को यह क्यों आया है क्या कर रहा है? मेरी आवाज बहुत तेज थी लेकिन महेंद्र की आवाज बहुत ही धीरे निकल रही थी।
महेंद्र - कुछ नहीं, नहीं चुप चाप चलता रहा ।
मेरी निगाहे उस बच्चे पर जम गई थी। अब वो बच्चे का साया फैलने लग गया था। कुछ ही क्षण में वो करीब दस फुट का हो गया था। देखते देखते ही वो अब हमारी और फैलने लग गया। हम दोनों चुप थे। मेरे कुछ समझ नहीं आ रहा था की, ये क्या हो रहा है। अब स्थिति ये थी की हम दोनों उससे करीब अस्सी से सत्तर कदम की दुरी पर होगें। चांदनी रात में वो परक्षाई हमें साफ साफ दिख रही थी। अब वो परक्षाई और फैलने लग गई थी उसके पैर हमारे दांये हाथ की और थे। पैर बढते जा रहे थे। अब हम दोनों ने रास्ता बदल लिया और शायद दोनों को ही डर लग रहा था। लेकिन कह नहीं रहे थे। दोनों चुप चाप सीधा जाने के बजाये अब हम अपने बांये हाथ की और मुड़ गये और हम दोनों अब कच्चे रास्ते में आ गये थे । पीछे मुड़ मुड़ कर हम देख रहे थे । वो परक्षाई का फैलना अब बंद हो गया था। रास्ते से हम दोनों घर की और आये। हम दोनों घर तक चुप थे। जब घर पर जा कर ये सब बताया तो ताऊ ने बताया की," करीब सात महीने पहले एक छोटे बच्चे को मार कर दबा दिया था। "आगे से इसे रात में ऐसे रास्तो से आने के लिए ना आने की चेतावनी दी।
मै भगवान को मानता हु और भूतो में भी विश्वास करता हु । ये हकीकत है।
आप लोगो को क्या लगता है की, जो हम दोनों ने देखा वो हमारा भ्रम था ? या वास्तव में कुछ था । आज विज्ञान बहुत तेजी से तरक्की कर रहे है। लेकिन दबी जुबान में तो वैज्ञानिक भी मानते है की, साये जैसी चीजे भी होती है ।
1 comment:
आज 26/06/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
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