


घायलों को अस्पताल में ले जाया गया और वहा से एक दिन के मामूली उपचार के बाद छुट्टी कर दी गई है! घायलों का आरोप है की पुलिस जल्द से जल्द अस्पताल से भगाने में लगी हुई है इसी भगदड़ में यदि कोई घायल होता है और घायल व्यक्ति 10 दिन से ज्यादा अस्पताल में रहता है! ऐसे मामलो में पुलिस पर 307 का केस बनता है! जिसमे पुलिस पर कार्यवाही बनती है जिससे बचने के लिए पुलिस जल्दी से सभी को भगाने में लगी हुई है !
जब सरकार और अन्य राजनीतिक पार्टिया जन सभा भीड़ जुटाने के लिए पेसे खर्च कर सकती है तब कोई हिसाब नहीं देखा जाता? बाबा के साथ फ्री इतनी भीड़ को देखा कर सरकार क्यों डर रही है?
जब आतंकी घटना होने से पूर्व आतंकी मेल और धमकी भरे ख़त भेजते है तो सरकार रोक नहीं पाती फिर यह तो कोई दमकी भाई नहीं मिली थी ! पुलिस का कहना है की पुलिस बाबा को गिरफ्तार करने नहीं आई थी बल्कि बाबा व् उनके एक नजदीकी सहयोगी को खतरे की सुचना देने और राम लीला मैदान को खाली करने के लिए गई थी! मैदान खाली का कारण भीड़ की क्षमता अधिक होने है !
बाबा की आवाज आम जनता की आवाज है और सरकार ने जिस तरह से मुद्दे को हल करने कोशिश की है वो मानवता के सिध्दान्तो से तो परे है लोक पल कमेटी के सदस्य अन्ना हजारे ने अपनी लोकपाल की सभा भी अस्थिगत कर दी है अन्ना ने मामले को देखते हुए सरकार के सामने एक शर्त रखी है की मीटिंग की रिकोडिंग की जाये जिससे जनता को पता चल सके की बैठक में क्या बात चित हुई है !

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