Wednesday, August 17, 2011

जन का जन सेलाब









अन्ना के समर्थको के नारे

अन्ना हजारे आगे बढ़ो
हम तुम्हारे साथ है

अन्ना नहीं आंधी है
देश का दूसरा गाँधी है

वन्दे मातरम
वन्दे मातरम

भारत माता की जय
भारत माता की जय

अन्ना तू संघर्ष करो
हम तुम्हारे साथ है

अन्ना वाले डिस्को
सोनिया वाले खिसको

देश का बेटा कैसा  हो?
अन्ना हजारे जैसा हो

ये सरकार निकम्मी  है
सोनिया भ्रष्टाचारियो की मम्मी है

कपिल
सोनिया का कुत्ता है

चोरो का सरदार कोन है
मन मोहन

होश में आओ
होश में आओ
सोनिया सरकार होश में आओ


इससे लगता है की कहीं न कही जनता बहुत ज्यादा परेशान हो चुकी है और अब भ्रष्टाचारियो को नहीं झेलेगी  ये जन सेलाब देश भर सड़को पर निकल रहा है इससे दो तरह की बाते निकल रही है पहली जो की सरकार में बैठे कपिल सिब्बल लगातार बता रहे है की संसद का कार्य अब सड़को पर किये जाने का खतरा है इस तरह हर कोई (ब्लेक मेल ) दवाब बनाएगा और संसद की गरिमा का क्या होगा ? दूसरी बात यह निकल कर आती है की जनता अपने वोट देकर सांसद चुनती है तो फिर उसके काम पसंद न आने पर उसे वापस बुला ले या फिर पांच साल तक इंतजार करे की, कब इसका कार्यकाल समाप्त हो और हम दूसरा नेता चुनकर भेजे
इतना बड़ा जन सेलाब अपने आप इतनी संख्या में एक समूह में जुट सकता है और अपने आप को सुव्यवस्थित रखता है और आन्दोलन में अपना सहयोग हर तरह से करता है
यदि इस तरह का जन सेलाब किसी मुद्दे पर इतना जोर दे रहा है तो, क्या संसद को जनता की आवाज नहीं सुननी चाहिए ? फिर किस काम का ये लोकतन्त्र ? क्या यही है लोकतंत्र जहा जनता को कोई महत्व नहीं दिया जा रहा है क्या यहा संविधान में कुछ बदलाव करने की जरुरत है ? ये एक बड़ा सवाल बना हुआ है 
मेरी  व्यक्तिगत  सलाह है की इतनी संख्या में यदि जनता सड़को पर उतरती है हो जनता की भी सुनी जानी चाहिए

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