Saturday, September 17, 2011

जननी को कितनी सुरक्षा?

केंद्र सरकार की सहायता से राजस्थान सरकार ने माँ (जननी शिशु सुरक्षा योजना) शुरू की।  जिसकी शुरूवात 12 सितम्बर 2011 से शुरू हो गई।  इस योजना मे  गर्भवती महिला के आने वाली परेशानियों को दूर करने का वादा किया गया।  
सरकार ने इसके लिए बाकायदा अखबारों मे विज्ञापन निकलवाये थे।  विज्ञापनों की गूंज राष्ट्रीय संस्करणों मे देखने को मिली। राजस्थान सरकार को शायद प्रचार का यही माध्यम सही लगा। लेकिन एक राज्य की योजना को लेकर राष्ट्रीय संस्करणों मे विज्ञापन निकलवाने का कोई अर्थ नहीं बनता। योजन राज्य के लिए है तो, फिर राष्ट्रीय संस्करणों मे विज्ञापन क्यों ? ये एक बड़ा सवाल है क्या ये सरकार का पैसा व्यर्थ मे नहीं गया ? हो सकता है की केंद्र को दिखने के लिए विज्ञापन दिया गया हो। लेकिन, फिर भी इसका कोई अर्थ नहीं बनता है जहाँ तक मुझे पता है।  पार्टी के कार्यालय मे राजस्थान का अख़बार भी आता होगा जो भी राज्य संस्करण चलिए मान लेते नहीं आता और दिखने के लिए छपवा भी दिया तो, योजना को सही रूप से लागु तो करना चाहिए
12 से 14  सितम्बर 2011  को शुरू किया गया लेकिन जब  16 सितम्बर को ही एक जनाना को अपने घर जाने के लिए इस योजना का लाभ लेना चाह तो इसके बदले मे महिला को घंटो इंतजार करना पड़ा ? घटना अजमेर की है जनाना अस्पताल के बाहर गोद में नवजात को लिए बैठी दो प्रसूताओं को लंबे समय तक एम्बुलेंस का इंतजार करना पड़ा। इससे मां व नवजात का गर्मी के मारे बुरा हाल हो गया। कारण एम्बुलेंस बताया गया। जननी शिशु सुरक्षा योजना में प्रसूताओं को उनके घर तक छोड़ने का भी प्रावधान किया गया है। इसके लिए जनाना अस्पताल में एम्बुलेंस 108 लगाई गई है लेकिन एम्बुलेंस चालक की मजबूरी कहें या फिर योजना की बंदिशें, एम्बुलेंस चालक का कहना था कि वह एक साथ चार प्रसूताओं को लेकर ही यहां से रवाना होगा। थोड़ी देर बाद वहां एक और प्रसूता आ गई। उसे भी अन्य प्रसूताओं के साथ वहां बैठना पड़ा। परिजन बच्चे और मां को हाथ पंखें से हवा खिलाते हुए दिलासा देते रहे कि अभी एम्बुलेंस आ जाएगी और हम घर चलेंगे। ऐसे करते डेढ़ घंटा गुजर गया। आखिर में जब एम्बुलेंस चालक को चौथी प्रसूता मिली, तब परिजन के राहत की उम्मीद बंधी और वह एम्बुलेंस में बैठ पाए। उनके बैठने के बाद एम्बुलेंस खचाखच भरी  गई, एक ही एम्बुलेंस में चार प्रसूता, नवजात और उनके परिजनों के कारण एम्बुलेंस का दृश्य देखने लायक था।
जननी शिशु सुरक्षा योजना में संस्थागत प्रसव नि:शुल्क, आवश्यकतानुसार सिजेरियन आपरेशन नि:शुल्क, जाँच सुविधा नि:शुल्क, रक्त की कमी होने पर नि:शुल्क रक्त देना की योजना है दवाइयां एवं अन्य आवश्यक  सामग्री नि:शुल्क, देने की योजना में सम्मिलित है लेकिन हालत कुछ और ही बयाँ कर रहे है जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम शुरू होने के बाद जनाना अस्पताल के चिकित्सकों का दावा है कि, उन्होंने किसी भी मरीज को बाहर की दवा नहीं लिखी है। इसके बावजूद अस्पताल में कुछ मरीजों को बाहर की दवा लिखने की शिकायतें सामने आई।   गर्भवती महिला ने शिकायत की है बच्ची के लिए तीन दवाइयां खरीद कर लानी पड़ी हैं। उन्होंने बताया कि एक नर्स ने बच्ची को इंजेक्शन लगाते वक्त लापरवाही बरती।
डाक्टर लापरवाही कर रहे है। ब्यावर निवासी एक प्रसूता ने आरोप लगाया कि उसे तीन दिन पहले एक इंजेक्शन लिखा गया जो आज तक लगाया ही नहीं गया है। यहाँ अस्पतालों की लापरवाही नजर आती है आखिर किसके लिए बने गई है ये सब योजनाये और क्या ? जब आम जन को इसका उपयोग ही नहीं कर पा रहा है ये योजना आम जन की पंहुचा से दूर नजर आ रही है 
राजस्थान सरकार के आनुसार प्रदेश में एक वर्ष में 5300  महिलाओं की मृत्यु गर्भावस्था संबंधी जटिलताओ के कारण होती है । जन्म के वर्ष के भीतर 98,500  शिशुओं की मृत्यु हो जाती है जन्म के माह  के भीतर 66,800  शिशुओं की मृत्यु हो जाती है  जन्म के सप्ताह  के भीतर 50,700  शिशुओं की मृत्यु हो जाती है  



15 महीने में 115 प्रसूताओं और 950 से अधिक नवजात शिशुओं की मौत, दोनों ही में जयपुर काफी आगे है। अफसरों का दावा हैजननी सुरक्षा योजना से हालात सुधरेंगे। पर कैसे? प्रसूताओं और बच्चों की मौत दवा की कमी नहीं, संसाधन की कमी है, जो अब भी बनी हुई है। न तो अस्पतालों में न बैड बढ़े हैं और न ही डॉक्टर या स्टाफ। मरीजों को इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। आईएमसी नर्सिंग काउंसिल के अनुसार पहले से ही जयपुर में 550 डॉक्टर और 2500 नर्सिंग स्टाफ की कमी है।,
ये मिलेगी सुविधाएं : योजना के तहत प्रसुताओं को प्रसव पूर्व व प्रसव के बाद 6 सप्ताह तक तथा नवजात शिशुओं को जन्म के 30 दिन तक चिकित्सालय से घर तक नि:शुल्क परिवहन, दवाइयां व जांचं होगी। इसी प्रकार प्रसुताओं को सामान्य प्रसव के तीन दिन तथा सिजेरियन प्रसव के सात दिन बाद चिकित्सालय में ताजा भोजन नि:शुल्क दिया जाएगा।
जिले की प्रसूता व शिशुओं को नि:शुल्क परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए चिकित्सा विभाग ने जिले में सरकारी व निजी अस्पताओं की एम्बलेंसों के अतिरिक्त 2 हजार 474 निजी वाहन अनुबंधित किए हैं।
दौसा के लिए 520, लोलसोट 685, बांदीकुई 559, सिकराय 322 तथा महुवा के लिए 389 निजी वाहन अनुबंधित किए गए हैं। इन वाहनों की सूची उस क्षेत्र के चिकित्सालयों में मय मोबाइल नम्बर के चस्पा की जाएगी। किसी भी प्रसूता द्वारा फोन करने पर सम्बन्घित क्षेत्र का वाहन चालक प्रसूता को चिकित्सालय पहुंचाने के साथ वापस घर की पहुंचाएगा।
इस दौरान यदि प्रसूता को गंभीरावस्था में उच्च चिकित्सालयों में रैफर किया जाता है तो भी उसी वाहन से वहां तक पहुंचाया जाएगा।
योजना बन  गई है और लागु  भी कर दी  है देखना ये है की,  अब कब तक ये आम जन की  पंहुच  में आती है योजनाये तो हजारो बनती है  लेकिन उसको अम्ल करवाने की जिम्मेदारी किसी को  नहीं दी जाती जिससे की योजना व्यर्थ हो जाती है

Friday, September 16, 2011

फ़ोन से लोभ लालच और धोखा धडी का मामला या साइबर आतंक

सेवा में ,
कमिश्नर ऑफ़ पुलिस
दिल्ली

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14 सितम्बर 2011 ,  12 :00  एक फोन आया जो की मिस काल नम्बर 923418783419 की, जिसके जवाब में मेने वापिस फोन किया  काल रेट ISD  थी
(
काजल नाम जिसने फोन उठाया था )
 
काजल- आप दस लाख रूपये जीत चुके है  ये सुनते ही मुझे फर्जी होने का पूरा विश्वास गया  लेकिन में पूरी जानकारी लेना चहता था
(ये सब मैने फर्जी मेसेज और काल करने वालो को पकडवाने के लिए जारी रखा) मेने बात जारी रखी
 
काजल- की ने कहा की आप विजय कुमार से बात करे एक नम्बर नोट करे 00923418783413
तारा - जी ठीक है
ज्यादा  पूछा तो  कुछ  बताया नहीं  कहा की आप इस  नम्बर पर  फोन कीजिये
मेने दुसरे नम्बर पर फोन किया जोकि 00923418783413
तारा - हेलो विजय कुमार बोल रहे है ?
विजय - हा
तारा - क्या मेरे नंबर पर  कोई लक्की ड्रा निकला है?
विजय - जी हा, आप को मेसज भी भेजा था 
तारा - जी हा लेकिन मेने सोचा की मेरी इसी किस्मत कहा
विजय - सच में आप दस लाख रूप जीत चुके है
तारा- केसे ?
विजय -  आपका नंबर 15 अगस्त  के कोन्टेस के लक्की विनर है केबीसी के विजेता है आप , आपको आपकी इनामी राशी लेने  के लिए अभी icici बैंक में पैसे जमा करवा दें
तारा - जी किस अकाउंट में?
विजय -  आप वहा पहुच कर फोन करना
तारा - जी ठीक है
इसके बाद मेने 100  पर फोन किया और पूरी बात बताई
100 -
ने कहा की ये सब फर्जी है इसे फोन मत उठे कीजिये
ये सुनकर मै हैरान हो गया इसे जवाब की मेने कल्पना भी नहीं की थी सिर्फ ये कहा  की 0112789445 पर बात करे  इस नंबर पर फोन करने पर फोन नहीं लग रहा
इसके बाद आपके ओफिस के नंबर 23490201  पर फोन किया
वहा से जवाब आया की आप अपने थाने मे जाकर रिपोट करे

करीब 20 मिनट बाद मेने एक बार फिर  फोन किया 

तारा - जी मै पहुच गया हु
विजय - आप किस बैंक मे गए है ?
तारा - आपने icici बैंक में पैसे जमा करने को कहा है तो कैंप की ब्रांच मे गया हु

विजय - कितने रूपये लेकर आये है ?
तारा - पुरे 15000 रूपये
विजय - अब एक अकाउंट नंबर नोट कीजिये
तारा- जी बताइए
विजय - 051601505812 जो M B इमरान खान के नाम पर है
तारा -जी ठीक है
और फोन काट दिया

करीब 20 मिनट बाद फिर मेने फोन किया
जी डाल दिए है
विजय - ठीक है
मेरे कुछ पूछने से पहले ही फोन काट दिया  
 
फिर 20  से 25  मिनट बाद फिर उनकी मिस्कोल आई मने फोन नहीं किया
कुछ देर बाद फिर फोन आया

विजय -आप झूठ बोल रहे है
तारा - जी क्यों ?
विजय -आपने पैसे नहीं डाले अभी तक
तारा - जी अभी वो बैंक का कम्पुटर सर्वर काम नहीं कर रहा है
विजय -तो कितनी देर  लगेगीं
तारा - बस , जैसे ही होता है मे आपको फोन करता हु और विजय ने फोन काट दिया

उसके बाद फिर काजल का फोन आया
आपने विजय से बात करे  ये कह कर फोन काट दिया
ये सब घटना क्रम को देखते हुए लगता है की दिल्ली पुलिस को कोई चिंता नहीं है दिल्ली की और दिल्ली के निवासियों  की / क्यों की अगर ये लोग  फर्जी मेसज भेज कर लोगो को पागल बना रहा है  दिल्ली पुलिस को सुचना दो. तो , सिर्फ ये कह कर काम चला लेती है की, " ऐसे नम्बरों के फ़ोनों को मत उठाया  कीजिये" दिल्ली मे अभी हल ही मे बम्ब विस्फोट हुए है और दिल्ली पुलिस  इस तरह लापरवाही कर रही है तो भला काम कैसे चलेगा ?

मैने इस सम्बन्ध इलाके के थाने में जाकर लिखित शिकायत दी. वहा शुरू में शिकायत लेने से ही मना कर दिया. फिर, कहा की "ऍफ़ आई आर नहीं कार सक तो हो.  आपके साथ कोई धोखा नहीं हुआ है"  कुछ जोर देने पर सारे स्टाफ ने मुझे चारो और से घेर लिया एक एक के बाद बहुत सारे सवाल क़र दिए.  फिर मुझे डराने की कोशिश की गई.  जिससे की मै शिकायत न करू.  पुलिस का ऐसा बरताव मुझे बड़ा आश्चर्य हुआआखिर में मुझे समझया की यह इसी शिकायते नहीं ली जाती है और साथ कह दिया की "इलाके में 20 हजार लोग है  कितनो को एसे मेसेज आये होगें तो क्या सारे लोगो की शिकायत सुनते रहेगें" एसे शब्दों की और इस तरह के जवाब की उम्मीद बिलकुल नहीं थी एक ने तो यह तक कह डाला की शाहदरा ( दिल्ली ) में नया पागल खाना खुल रहा है जाकर इलाज करवा.  जातिगत सवाल उठाये गए अपनी जाति की मीटिंग में जाकर ये सब बताना . सवाल भी कुछ इस तरह की जिसका कोई मतलब नहीं बनता है जैसे
१ शिकायत को टाइप करने का खर्चा क्यों किया ?
२ कितने रूपये लगे ? तेरे पास पैसा ज्यादा है क्या ?
३ क्या करेगां शिकायत करके ?
४ तेरे साथ तो कोई धोखा नहीं हुआ तो फिर क्यों क़र रहा है शिकायत ?
इस तरह के सवालों की उम्मीद दिल्ली पुलिस से नहीं थी
 मेरी इस शिकायत जो फर्जी मसेज और फोन के खिलाफ  की है उसपर आप क्या कार्रवाही करेगें ?
 
आपके जवाब का इंतजार रहेगा
मै आपसे सीधे तोर पर शिकायत करता हु की दिल्ली पुलिस लापरवाही बरत रही है इसपर आप क्या प्रतिक्रिया देगें ?
मेरे साथ हुए बुरे बतराव के लिए कोन जिम्मेदार है?



मै आपसे सीधे तोर पर शिकायत करता हु की दिल्ली पुलिस लापरवाही बरत रही है इसपर आप क्या प्रतिक्रिया देगें ?
 
मेरी इस शिकायत जो फर्जी मसेज और फोन के खिलाफ  की है उसपर आप क्या कार्रवाही करेगें ?
 
आपके जवाब का इंतजार रहेगा

शिकायत कर्ता

Tara chand meena
House -8 Gali -13 WEST SANT NAGAR BURARI DELHI -84 tarameena88@gmail.com
9899565683

Monday, September 12, 2011

मानवाधिकार और आतंकवाद


मानव अधिकार दिवस 2010 की थीम है 
'भेदभाव के अंत तक कार्य करने वाले मानव अधिकार रक्षक'.


विश्व में मानव अधिकार की व्यापक गरिमा फ्रांसीसी क्रांति (1789 ई.) से स्थापित हुई। जाँ जैक रूसों के संविदा सिद्धांत से प्रेरित क्रांति के समय संविधान सभा ने यह घोषणा की थी कि संविधान निर्मित होने पर सर्वप्रथम मानव अधिकारों का उल्लेख किया जाएगा। यह घोषणा वास्तव में जार्ज वाशिंगटन के नेतृत्व में अमरीका (संयुक्त राज्य) की स्वतंत्रता की घोषणा (सन् 1778 ई.) के सिद्धांतों से प्रेरित थी। मानव अधिकार की घोषणा के आधार पर समता, स्वतंत्रता एवं बंधुता का कानूनी अधिकार प्राप्त हुआ। 
26 जनवरी, 1950 ई. से लागू भारतीय संविधान ने भी मौलिक अधिकार जनता को दिए हैं किंतु संपत्ति के अधिकार पर आधारित होने के कारण ये उतने व्यापक नहीं हो सके हैं जितने सोवियत संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार। भारतीय संविधान ने धर्म, प्रजाति, जाति, लिंग के भेदभाव को मिटाकर कानून के समक्ष समता का अधिकार प्रदान किया है। अस्पृश्यता तथा बेगारी का अंत कर दिया है। सरकार की ओर से मिलने वाली उपाधियों का अंत कर दिया है। भाषण, सभा, संगठन, आवागमन की स्वतंत्रता प्रदान की गई है। शोषण के संरक्षण का अधिकार दिया गया है।

मानव अधिकार दिवस की तिथियों की शुरूआत औपचारिक रूप से सन 1950 से मानी जाती है, क्योंकि इसी वर्ष 10 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अध्यादेश 423 (V) पारित किया था, जिसके बाद यह इच्छुक संगठनों द्वारा अपनाया गया।
मानवाधिकार एक ऐसा विषय है जिस पर हमेशा से ही बहस रही है जब अबु सलेम, अफजल गुरु जैसे हत्यारे और आतंकियों के मानवाधिकार की बात की जाती है तो, यह निरर्थक लगती है
जब तक बात अपराधियों की है तब तक तो सब सही है क्योंकि, एक बलात्कारी, आतंकवादी या हत्यारे का कोई मानवाधिकार तो होना ही नहीं चाहिए लेकिन, इन्हीं अपराधियों के साये में जब कोई निर्दोष हत्थे चढ़ जाता है या प्रशासन सच उगलवाने के लिए गैरकानूनी रूप से किसी को शारीरिक या मानसिक यातना देता है तब समझ में आता है मानवाधिकार कितना जरुरी है

मानवाधिकार एक ऐसा विषय है जो सभी सामाजिक विषयों में सबसे गंभीर है जिसे हम एक तरफा हो कर नहीं सोच सकते. पर अपने राजनीतिक या अन्य बुरे मंसूबों को सफल बनाने के लिए
मानवाधिकारों का सहारा लेना बिलकुल गलत है. मानवाधिकार मानव का मौलिक अधिकार होता है दानव का नहीं, आतंकवादी तो मानव के श्रेणी में आते ही नहीं है फिर, उनको इस श्रेणी का कोई अधिकार प्राप्त होना ही नहीं चाहिए

भारत में संसद पर हमले की घटना के बाद टाडा की जगह पोटा को अंजाम दिया गया। नई सरकार ने पोटा हटाकर उसके प्रावधानों को दूसरे कानून में समाहित कर दिया। दरअसल पूरी दुनिया में मानवाधिकारों के सवालों के खिलाफ वैश्विक स्तर पर सरकारों ने लड़ने की कई सतहें तैयार की हैं। एक तो अमेरिकी और यूरोपीय यूनियन की सरकारें हैं जो खुद के भूगोल में लोकतांत्रिक और मानवाधिकार संरक्षक के रूप में दिखना चाहती हैं लेकिन उसके बाहर मानवाधिकारों की धज्जियां भी उड़ाती हैं और मानवाधिकारों का दमन वाली ताकतों को संरक्षण भी प्रदान करती है।

आतंकवादी संगठन हरकत-उल-जेहादी इस्लामी (हूजी) ने दिल्ली हाईकोर्ट में हुए बम धमाके की जिम्मेदारी लेते हुए और हमलों की धमकी दी  हूजी आतंकी संगठन ने कहा है, "हम आज दिल्ली हाईकोर्ट में हुए विस्फोट की जिम्मेदारी लेते हैं। हमारी मांग है कि अफजल गुरु की फांसी की सजा को रद्द किया जाए, वरना हम प्रमुख हाईकोर्टों और भारत की सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाएंगे।" सवाल ये बनता है की, हुजी जैसे संगठन अफजल की फांसी अभी तो रुकवाने के लिए बम विस्फोट कर रहे है आगे क्या गारंटी है की हूजी संगठन अफजल को छुडवाने के लिए कोई चाल नहीं चलेगां?

अफजल
गुरु को वर्ष 2001 में संसद भवन पर हुए आतंकवादी हमले के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है, और उसकी ओर से फांसी को उम्रकैद में तब्दील करने के लिए दी गई दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है। अफजल गुरू ने हुर्रियत के नेता सैयद अली शाह गिलानी को भेजे पत्र के माध्यम से कहा कि उसने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर कर गलती की। उसका कहना है कि वह जान देकर शहीद होने को तैयार है। कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला कहा  कि अफजल की फांसी का घाटी में गलत संदेश जाएगा,  
वही कुपवाड़ा जिले के लांगेट विधानसभा क्षेत्र के विधायक शेख अब्दुल रशीद मानवीय आधार पर अफजल गुरु के लिए दया की मांग कर रहे है

भुल्लर को 1993 के रायसीना ब्लास्ट मामले में फांसी की सजा सुनाई गई थी। इस ब्लास्ट में 12 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 29 लोग घायल हो गए थे। इस ब्लास्ट में तत्कालीन युवक कांग्रेस नेता एम. एस. बिट्टा घायल हो गए थे। इस मामले में भुल्लर को गिरफ्तार किया गया और 25 अगस्त, 2001 को भुल्लर को निचली अदालत ने टाडा सहित अन्य धाराओं के तहत दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई। सुप्रीम कोर्ट ने 22 मार्च, 2002 को फांसी की सजा को सुनिश्चित किया और 19 दिसंबर, 2002 को भुल्लर की याचिका खारिज कर दी।  वर्ष 2004 के बाद पहली बार राष्ट्रपति की ओर से किसी दोषी को मृत्युदंड की सजा पर मुहर लगाई गई है।  2004 में धनंजय चटर्जी को फांसी की सजा सुनाई गई थी। सिख फॉर जस्टिस ने 12 दिसंबर 2011 को मानवाधिकार के लिए जेनेवा में यूएन आई कमीशन अन्य मानवाधिकार संगठनों को साथ लेकर एक याचिका भी दायर की जाएगी। जिसमें भुल्लर की सजा को माफ करवाने की अपील करेगें

यदि ऐसा ही होता रहा तो हर कोई व्यक्ति हत्या जैसे गंभीर अपराध करने से भी पीछे नहीं रहेगां अपराधो की संख्या लगातार बढती चली जायेगी फिर मानवाधिकार वाले संगठन आ जायेगें और सरकार फिर कहेगी की जैलो में जगह नहीं है

मानवाधिकार घोषणा पत्र  
कोई मनुष्य किसी का दास नहीं है

सभी मनुष्य अपने अधिकारों के लिए जन्मजात स्वतंत्र और समान हैं। घोषणापत्र में निर्धारित मानवाधिकार हर नस्ल, राष्ट्रीयता, धर्म और वर्ग के व्यक्ति के लिए समान हैं।

* हर मनुष्य को जीवनयापन करने, स्वतंत्र रहने और अपनी रक्षा करने का अधिकार है।
* कोई भी मनुष्य किसी अन्य व्यक्ति का दास नहीं है।
* किसी व्यक्ति को प्रताडि़त करना या उससे क्रूरतापूर्ण व्यवहार करना उसके मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
* किसी भी व्यक्ति को बगैर किसी कारण गिरफ्‍तार नहीं किया जा सकेगा।

* हर व्यक्ति को न्यायालय की शरण में जाने का अधिकार है।
* कोई भी व्यक्ति आरोप सिद्ध होने तक अपराधी नहीं माना जा सकता।
किसी भी व्यक्ति की निजता के साथ मनमानीपूर्वक खिलवाड़ नहीं किया जा सकता।
* हर व्यक्ति को अपने राज्य की सीमाओं के भीतर आवास बनाने या अन्यत्र जाने का अधिकार है।
* सभी को विदेश जाने या लौटकर अपने देश आने का अधिकार है।

* प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्रीयता का अधिकार है। किसी को भी उसकी राष्ट्रीयता से वंचित नहीं किया जा सकता।
* पुरुषों और महिलाओं को विवाह करने और अपना परिवार बनाने का अधिकार है। हर महिला के मातृत्व के अधिकार की रक्षा जरूरी है, चाहे उसकी संतान की उत्पत्ति विवाह संबंधों से हुई हो या नहीं।
* परिवार समाज की बुनियादी इकाई हैं। उन्हेंसमाज और राज्य से सुरक्षा प्राप्त करने का अधिकार है।
* सभी को संपत्ति रखने का हक है। किसी को भी मनमानीपूर्वक उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता।

* सभी को निजी विचार और धार्मिक आस्था की स्वतंत्रता है।
* सभी को अपने देश की सरकार में सहभागिता करने का हक है।
* सभी को काम और आराम करने का अधिकार है।

(वर्ष 1948 में जारी किए गए अंतरराष्ट्रीय घोषणा पत्र के अंश)