जब पत्रकारिता की बात की जाता है। पत्रकारिता समाचार प्राप्त करने का एक माध्यम है पत्रकारिता पहली कड़ी और महत्पूर्ण संचार का माध्यम है। पत्रकारिता के शुरुआती और आज की पत्रकारिता में जो बदलाव आया है। वह आधुनिक पत्रकारिता के अंतगर्त देखा जा सकता है।
वर्तमान में पत्रकारिता आपने क्षेत्र का विस्तार और आधुनिक बनती जा रही है। जिसके बदलाव के साथ साथ सामाजिक बदलाव देखा जा सकता है। समाजिक क्षेत्र में पत्रकारिता ने जिस तरह आपनी शैली में बदलाव किया। उसी के साथ समाज भी बदलने लगा, लेकिन आज जो समाज के अनुसार पत्रकारिता बदल रही है। यानि जो समाज की मांग होती है। वह समाचार पत्र उसी के अनुसार लिखने लगा है। सामाजिक जीवन पर दिखाई पड़ता है। यदि किसी समाचार पत्र में विज्ञापन दिखाया गया है।
समाज विज्ञापन संस्कृति को अपनाते जा रहे है। पत्रकारिता ने सामाजिक के साथ¬साथ संस्कृति पर भी प्रभाव देखा जा सकता है। संस्कृति और पत्रकारिता एक सिक्के के दो पहलू है। दोनों साथ¬ साथ चल रहे है पत्रकारिता ने जो विदेशी संस्कृति को देश में लेता जा रहे है। यदि विदेशी या भारत में ही किसी मॅाडल ने एक हेयर स्टायल या कपडे कुछ अलग पहने है‚ तो वह उसके बारे में लिखते है और वह उसको कैसे ले सकते है। इससे पत्रकारिता ने कुछ कमिय भी है तो उसकी कम्पनी से पैसे लेती है और जो समाचार लिखा जाता है ये (पेड़ न्यूज़ ) में आ जाता है और निम्न और माध्यम समाज इसको आपने दिनचार्य में उपयोग करता है तो यह पर बाजारवाद हावी होता नज़र आता है और हमारी संस्कृति का हनन करता है दूसरी और सम्पन वर्ग , इसको मनोरंजन के रूप में देखता है।
पत्रकारिता का मुख्य कार्य देश के तीनो स्तम्भों को सुचार रूप से चलने में सहयोग देना है। पत्रकारिता का उद्देश्य समाजिक संस्कृति छवि को बनाये रखना है। पत्रकारिता समाज को राजनितिक की जुडी खबरे देते समय समाचार को संतुलित खबरे देनी चाहिए।
लेकिन आज की पत्रकारिता राजनितिक क्षेत्र के किसी एक पार्टी से जुड़ जाती है। जिससे खबर एक तरफा हो जाती है। जिससे उस पार्टी की नकारात्मक खबरे नहीं देते है। यदि ऐसे समय में पत्रकार समाचार पत्र को किसी पार्टी से जुडा नहीं होना चाहिए। स्वतंत्र पत्रकार बनकर पत्रकारिता करनी चाहिए । लेकिन आधुनिक पत्रकारिता में ये ट्रेड बढ़ता जा रहा है और ये कम होना चाहिए या फिर पूर्ण रूप से पत्रकार स्वतंत्र होना चाहिए।पत्रकारिता समाजिक जीवन के साथ साथ आर्थिक व्यवस्था को भी प्रभावित करता है। यह भी पेड़ न्यूज़ को दिखाई पड़ता है। यदि किसी का क्रय विक्रय करने के लिए विज्ञापन दिए जा रहे है जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है तो बाजारवाद पत्रकारिता पर हावी होती जा रही है। यह आर्थिक प्रभाव डालता है। आधुनिक बदलाव में पत्रकारिता का अस्तित्व भी बदलता जा रहा है। जब पत्रकारिता शुरुआत हुई और आज की पत्रकारिता में बहुत अंतर दिखाई पड़ता है। 19 शताब्दी की पत्रकारिता समाज को जागरूक करने, सुचना देने के लिए किया जाता है। लेकिन वर्तमान में सूचनाओं को सेकेंडरी और विज्ञापन को प्राइमरी के स्थान दिया जा रहा है। यदि आधुनिक पत्रकारिता इस तरह ही होती रही है तो कुछ समय बाद पत्रकारिता अपना मूल उद्देश्य भूल जाएगा।
ये सिर्फ समाज के लिए ही नहीं ,देश के लिए चिंता का विषय है ऐसे पर बहुत ही सूक्ष्मता से सोचना होगा और व्यापक स्थिति पर सुधारना होगा। आज की पत्रकारिता को भटकती हुई राह (रास्ते) से सही राह पर लाना होगा ।